Truth of Heart Surgery: Heart Attack or Heart Trap

Truth of Heart Surgery:
अगर किसी ने आपको कहा है कि “आपकी stable blockage किसी भी वक्त हार्ट अटैक करवा सकती है, तुरंत स्टेंट लगवाइए!” — तो एक पल रुकिए, सोचिए —
क्या सच में आप इतनी बड़ी मुसीबत में हैं? या फिर आप एक मेडिकल जाल में फंसाए जा रहे हैं?
आजकल कई जगहों पर कार्डियोलॉजी प्रैक्टिस में मरीज को मौत का डर दिखाकर जल्दी-जल्दी स्टेंट या बायपास सर्जरी करवा दी जाती है।
वजह?
👉 हॉस्पिटल का फायदा।
👉 डॉक्टर पर institutional pressure।
👉 मरीज को सच न बताना।
दुनिया के सबसे बड़े clinical trials — जैसे:
— सबने ये साबित कर दिया है कि stable coronary artery disease (CAD) में स्टेंट लगाने से:
✅ भविष्य में हार्ट अटैक रुकता नहीं।
✅ मौत का खतरा कम नहीं होता।
✅ दवाइयाँ और lifestyle सुधार कई बार उतना ही, या उससे बेहतर काम करते हैं।
अगर आपकी हालत stable है — मतलब आपको emergency chest pain, लगातार worsening या हार्ट अटैक के लक्षण नहीं हैं — तो घबराएँ नहीं।
👉 पहले lifestyle सुधारिए।
👉 सही दवाइयाँ लीजिए।
👉 डॉक्टर से दूसरी राय (second opinion) लीजिए।
👉 patient education से खुद को मजबूत बनाइए।
ये ब्लॉग आपको वो सच्चाई दिखाता है जो बड़े global studies में साबित हुई है —
Stable blockage में स्टेंट हमेशा जरूरी नहीं। सही lifestyle + सही दवाइयाँ ही असली इलाज हैं।
डर में आकर जल्दबाज़ी से surgery कराना जरूरी नहीं — जानकारी लेकर समझदारी से फैसला लेना ही सच्चा इलाज है।
डर से नहीं, science से इलाज चुनिए — stable blockage जान नहीं लेती, लेकिन बेवजह surgery आपका वक्त, पैसा और health ले सकती है।
ये एक बड़ा रिसर्च था जो ये पता लगाने के लिए किया गया था कि स्टेंट लगाने से (यानि PCI या angioplasty) हार्ट अटैक या मौत के खतरे को कम किया जा सकता है या नहीं।
ये रिसर्च Stable Coronary Artery Disease (CAD) वालों पर किया गया — मतलब जिनको हार्ट की नलियों में blockage तो है, लेकिन उनको कोई emergency हार्ट अटैक नहीं हुआ था, उनकी हालत स्थिर थी।
इसमें 2,287 मरीज शामिल किए गए।
सबके सब stable CAD के मरीज थे।
1️⃣ एक ग्रुप को दिया गया —
PCI (यानि angioplasty) जिसमें हार्ट की ब्लॉक नली में balloon डालकर उसे खोला गया और stent लगाया गया।
साथ में दवाइयां भी दी गईं (Optimal Medical Therapy – OMT)।
2️⃣ दूसरे ग्रुप को दिया गया —
सिर्फ दवाइयां (Optimal Medical Therapy)।
कोई stent या angioplasty नहीं।
करीब 4.6 साल तक मरीजों पर नजर रखी गई।
देखा गया कि किस ग्रुप में ज्यादा मौत, हार्ट अटैक या बड़ी हार्ट से जुड़ी तकलीफें हुईं।
दोनों ग्रुप में मौत, हार्ट अटैक या बड़ी हार्ट प्रॉब्लम होने में कोई खास फर्क नहीं निकला।
यानी जिनको सिर्फ दवाइयां दी गईं, उनका रिजल्ट भी वही निकला जो स्टेंट + दवा वालों का निकला।
मतलब stent लगाने से कोई extra फायदा survival या हार्ट अटैक रोकने में नहीं मिला।
जिन मरीजों को stable हार्ट blockage है और emergency नहीं है, उनमें सिर्फ दवाइयों से भी उतना ही अच्छा फायदा मिल सकता है जितना stent लगाने से।
इसलिए stable मरीजों में सिर्फ blockage दिखने पर तुरंत angioplasty जरूरी नहीं।
पहले lifestyle सुधार, दवाइयां, exercise, diet और risk factor control पर जोर देना चाहिए।
हां, अगर किसी को बहुत ज्यादा chest pain है जो दवाइयों से ठीक नहीं हो रहा तो फिर stent मदद कर सकता है, लेकिन जान बचाने के लिए नहीं — सिर्फ symptom कम करने के लिए।
Stable हार्ट blockage में stent से मौत या हार्ट अटैक के खतरे में कोई कमी नहीं आती — सही इलाज और lifestyle से भी उतना ही फायदा हो सकता है।
📄 Read Clinical Research Published on COURAGE Trial:
ये दुनिया का पहला ऐसा रिसर्च था जिसमें स्टेंट को placebo (dummy/fake इलाज) से compare किया गया।
मतलब देखा गया कि स्टेंट सच में फायदा करता है या सिर्फ मरीज को लगता है कि फायदा हो रहा है?
इसमें stable angina (यानि सीने में दर्द जो stable है, कोई emergency नहीं) वाले मरीजों को लिया गया।
सब मरीजों की हार्ट की नलियों में blockage था, लेकिन हालत stable थी।
1️⃣ पहले ग्रुप को सच में स्टेंट लगाया गया।
2️⃣ दूसरे ग्रुप को सिर्फ ऐसा दिखाया गया कि इलाज हुआ — पर असली में स्टेंट नहीं लगाया गया (इसे ही placebo या sham procedure कहते हैं)।
मरीज को और डॉक्टर को पहले से पता नहीं था कि किसको असली स्टेंट लगा और किसको fake।
दोनों ग्रुप के मरीजों को कुछ हफ्तों बाद exercise test कराए गए।
देखा गया कि किसकी exercise करने की ताकत बढ़ी और chest pain में कितना फर्क पड़ा।
स्टेंट वाले ग्रुप को भी और fake वाले ग्रुप को भी exercise करने में लगभग बराबर improvement दिखा।
सीने के दर्द में भी कोई बड़ा फर्क नहीं निकला।
मतलब स्टेंट से कोई extra फायदा नहीं हुआ, जितना placebo से हुआ उतना ही निकला।
Stable angina में स्टेंट लगवाने से मरीज को लगता है कि pain कम हो गया, लेकिन असल में फायदा उतना नहीं है जितना सोचा जाता है।
Lifestyle सुधार और सही दवाइयां भी उतनी ही असरदार हो सकती हैं।
स्टेंट सिर्फ तभी सही है जब दवाइयों से दर्द कम ना हो रहा हो या कोई emergency हो।
ORBITA Trial ने दिखाया कि stable chest pain में स्टेंट लगाने से असली में कोई extra फायदा नहीं होता — placebo (fake) इलाज जितना ही असर होता है।
📄 📄 Read Clinical Research Published on the ORBITA Trial:
ये अब तक का सबसे बड़ा रिसर्च था जो ये जानने के लिए किया गया कि मध्यम से ज्यादा blockage (moderate-to-severe blockage) वालों को स्टेंट या बायपास सर्जरी से ज्यादा फायदा होता है या नहीं।
मतलब जिनको हार्ट की नलियों में blockage थोड़ा ज्यादा था, उनके लिए स्टेंट या बायपास जरूरी हैं या lifestyle + दवाइयां ही काफी हैं?
इसमें 5,000 से ज्यादा मरीज शामिल किए गए।
सबको moderate से severe blockage और ischemia (यानि हार्ट की नलियों में खून की कमी) थी।
पर हालत stable थी — कोई emergency हार्ट अटैक नहीं था।
1️⃣ एक ग्रुप को दिया गया —
Invasive इलाज — मतलब स्टेंट लगाया या बायपास सर्जरी की गई।
साथ में दवाइयां और lifestyle सुधार भी कराया गया।
2️⃣ दूसरे ग्रुप को दिया गया —
सिर्फ Medical Therapy — मतलब दवाइयां, lifestyle सुधार, exercise, diet कंट्रोल।
कोई स्टेंट या बायपास नहीं किया गया।
मरीजों को कई साल तक follow किया गया।
देखा गया कि किस ग्रुप में मौत या हार्ट अटैक ज्यादा या कम हुए।
स्टेंट या बायपास सर्जरी से मौत या हार्ट अटैक के खतरे में कोई खास फर्क नहीं पड़ा।
दोनों ग्रुप में नतीजे लगभग बराबर निकले।
मतलब invasive इलाज से ज्यादा लंबी उम्र या हार्ट अटैक कम होने का फायदा नहीं मिला।
Moderate से severe blockage होने पर भी, अगर हालत stable है तो सिर्फ lifestyle सुधार + सही दवाइयों से भी उतना ही फायदा होता है जितना स्टेंट या बायपास सर्जरी से।
Invasive इलाज तभी सही है जब सीने में बहुत ज्यादा दर्द हो, दवाइयों से आराम ना आए या Emergency बन जाए।
Moderate से Severe Blockage में भी स्टेंट या बायपास सर्जरी से मौत या हार्ट अटैक का खतरा कम नहीं होता — lifestyle सुधार और दवाइयां भी उतनी ही असरदार हैं।
📄 📄 Read Clinical Research Published on ISCHEMIA Trial:
🔬 क्या था BARI 2D Trial?
ये रिसर्च diabetes (मधुमेह) वाले मरीजों पर किया गया, जिनको हार्ट की नलियों में blockage था।
मकसद ये देखना था कि बायपास सर्जरी करने से क्या इन मरीजों की मौत या हार्ट से जुड़ी बड़ी तकलीफों का खतरा कम होता है या नहीं।
👥 किस पर किया गया?
सिर्फ ऐसे मरीज जिनको diabetes और coronary artery disease (CAD) दोनों थे।
मतलब हार्ट blockage के साथ diabetes — जो आमतौर पर high risk माने जाते हैं।
🧩 कैसे दो ग्रुप बनाए गए?
1️⃣ पहला ग्रुप —
इनको बायपास सर्जरी (CABG) दी गई।
साथ में दवाइयां और lifestyle सुधार भी कराए गए।
2️⃣ दूसरा ग्रुप —
सिर्फ Medical Therapy + lifestyle changes दिए गए।
कोई सर्जरी नहीं की गई।
⏰ कितने समय तक मरीजों को देखा गया?
मरीजों को कई साल तक follow किया गया।
देखा गया कि किस ग्रुप में मौत या हार्ट अटैक या दूसरी हार्ट प्रॉब्लम ज्यादा या कम हुईं।
✅ नतीजा क्या निकला?
दोनों ग्रुप में मौत के आंकड़े और हार्ट से जुड़ी तकलीफों में कोई बड़ा फर्क नहीं निकला।
यानी diabetes वालों में भी बायपास सर्जरी से survival पर कोई extra फायदा नहीं हुआ।
Lifestyle सुधार और सही दवाइयों से भी वही फायदा मिला।
📌 इस रिसर्च से क्या सीख मिली?
diabetes के मरीजों में भी stable हार्ट blockage में सिर्फ बायपास सर्जरी करना जरूरी नहीं।
पहले lifestyle सुधार, दवाइयां, exercise, diet कंट्रोल बहुत जरूरी हैं।
सर्जरी सिर्फ तब करनी चाहिए जब बहुत ज्यादा दर्द हो या दवाइयों से आराम न मिले या कोई emergency हो।
🔑 एक लाइन में सारांश:
Diabetes के मरीजों में भी बायपास सर्जरी से मौत या हार्ट अटैक का खतरा नहीं घटता — lifestyle और दवाइयां भी उतनी ही असरदार हैं।
📄 Read Clinical Research Published on BARI 2D Trial:
🔬 क्या था FAME Trial? (Jan 2009)
यह January 15, 2009 को The New England Journal of Medicine में प्रकाशित हुआ था (DOI: 10.1056/NEJMoa0807611) PubMed+1New England Journal of Medicine+1।
इसका पूरा 1‑year follow-up रिपोर्ट भी 2010 में जर्नल ऑफ अमरिका कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (JACC) में प्रकाशित हुआ था — जो Pijls और टीम द्वारा लिखा गया था
ये रिसर्च इस बात पर था कि ब्लॉकेज कितना खतरनाक है, इसे बेहतर तरीके से कैसे मापा जाए।
इसमें एक नया तरीका इस्तेमाल किया गया जिसका नाम है FFR — Fractional Flow Reserve।
FFR से ये पता चलता है कि जिस नली में blockage दिख रहा है, वो सच में खून के बहाव को रोक रहा है या नहीं।
👥 किस पर किया गया?
ऐसे मरीज जिनकी हार्ट की नलियों में blockage था।
सबका Angiography किया गया, लेकिन Blockage कितना Functional असर डाल रहा है — ये FFR से पता किया गया।
🧩 कैसे दो ग्रुप बनाए गए?
1️⃣ एक ग्रुप में blockage देखने के बाद सिर्फ traditional Angiography पर भरोसा करके स्टेंट डाले गए।
2️⃣ दूसरे ग्रुप में FFR से Blockage को चेक किया गया — अगर blockage खून के बहाव को सच में रोक रहा था तभी स्टेंट डाला गया, वरना नहीं।
✅ नतीजा क्या निकला?
FFR से बेकार के अनावश्यक स्टेंट डालने से बचाव हुआ।
मतलब जिनको सच में जरूरत थी, उन्हीं को स्टेंट मिला — फालतू स्टेंट लगाने से बचा।
लेकिन फिर भी — जिनको FFR-guided PCI मिला, उनकी लंबी उम्र या हार्ट अटैक रोकने में कोई बड़ा फर्क नहीं पड़ा, जब Medical Therapy से compare किया गया।
📌 इस रिसर्च से क्या सीख मिली?
सिर्फ blockage देखकर स्टेंट नहीं डालना चाहिए।
FFR जैसे Scientific Tools से पहले देखना चाहिए कि Blockage सच में खतरनाक है या नहीं।
बेवजह स्टेंट लगाने से मरीज को फायदा नहीं होता — सिर्फ Medically जरूरी केस में ही स्टेंट सही है।
फिर भी, overall survival और हार्ट अटैक रोकने में lifestyle + दवाइयां उतनी ही असरदार हैं।
🔑 एक लाइन में सारांश:
FFR से बेकार के स्टेंट बच सकते हैं, पर survival या हार्ट अटैक कम करने में स्टेंट लगाने से ज्यादा फायदा नहीं — lifestyle और दवाइयों से भी उतना ही असर।
📄 📄 Read Clinical Research Published on FAME Trial:
आजकल हार्ट का इलाज एक बहुत बड़ा बिज़नेस बन गया है। इसमें हर साल करोड़ों-अरबों रुपये खर्च होते हैं।
दुर्भाग्य से, हर बार मरीज का फायदा ही देखा जाए — ऐसा हमेशा नहीं होता। कई बार मरीज को डराकर अनावश्यक इलाज बेचे जाते हैं।
जब कोई मरीज अस्पताल जाता है और उसे blockage बताया जाता है तो अगला कदम होता है — स्टेंट या बायपास सर्जरी।
एक स्टेंट लगाने का खर्च भारत में करीब ₹1.5 लाख से ₹3 लाख (या उससे भी ज्यादा) होता है।
बायपास सर्जरी का खर्च इससे भी कई गुना ज्यादा होता है — ₹2 लाख से ₹5 लाख या उससे भी ज्यादा।
ये सारा पैसा अस्पताल और इलाज करने वाली कंपनियों के लिए मुनाफा बन जाता है।
बहुत बार डॉक्टर या अस्पताल के लोग मरीज को कुछ इस तरह की बातें बोलते हैं:
“90% blockage है, कुछ भी हो सकता है!”
“कभी भी हार्ट अटैक आ सकता है!”
“आप चलती-फिरती टाइम बम हैं!”
ये सुनकर मरीज और उसके परिवार वाले डर जाते हैं और फौरन स्टेंट या सर्जरी के लिए तैयार हो जाते हैं — बिना ये समझे कि उनकी हालत stable है या emergency है।
हर blockage खतरनाक नहीं होता।
हार्ट अटैक ज्यादातर सख्त blockage से नहीं बल्कि soft plaque rupture से होता है — मतलब जो plaque फटी या टूट गई, वो अचानक खून का थक्का बना देती है।
बहुत से लोग सालों तक 70-80% blockage के साथ भी आराम से जीते हैं — अगर वो सही lifestyle और दवाइयां अपनाते हैं।
डर के नाम पर स्टेंट और सर्जरी बेचने से बचना चाहिए।
अगर हालत stable है तो पहले lifestyle सुधारें — धूम्रपान छोड़ें, अच्छा खाना खाएं, चलें-फिरें, तनाव घटाएं, दवाइयां ठीक से लें।
सही सलाह किसी experienced और भरोसेमंद डॉक्टर से लें।
हर blockage = स्टेंट या बायपास — ये जरूरी नहीं!
डर बिकता है — और angioplasty से अस्पताल कमाते हैं। सही जानकारी रखें, बेवजह डरें नहीं और जरूरी हो तभी invasive इलाज कराएं।
Read More:
Stents don’t work? A look back at the research
Medications as effective as stents for most with coronary artery disease
Unbelievable’: Heart Stents Fail to Ease Chest Pain
Studies Show Stents, Surgery No Better Than Medication, Lifestyle Changes at Reducing Cardiac Events
In Stable Heart Disease, Study Finds Stents Might Be No Better Than Drugs
Invasive procedures no better than medication for coronary heart disease, study shows
Stents no better than drugs for many heart patients – U.S. study
Heart Stents Found No More Effective Than Drugs in Prolonging Life
Stents, bypass surgery no better than pills: Study
Drugs Are as Effective as Stents or Surgery for Some Patients
Stent No Better Than Drugs, Heart Study Finds
For heart disease, new study shows surgery is no better than medication and lifestyle changes
Stents not more beneficial than medications in stable coronary artery disease: Study
Drugs Work as Well as Angioplasty, Study Says
Study Finds Limited Benefits of Stent Use for Millions With Heart Disease
Study: Stents no better than drugs for stable heart disease
Stents no more effective than drugs for heart disease: Study
In Trial, Drugs Equal Benefits of Artery Stents
Study finds stents no better than drugs for many heart patients
Stents no better than heart drugs in diabetics
New Study Suggests Doctors Use Heart Stents More Than Needed
आज की मेडिकल साइंस साफ कहती है कि —
अगर आपकी coronary artery disease (CAD) stable है (यानि कोई emergency हार्ट अटैक नहीं हुआ है), तो दवाइयों और lifestyle सुधार से उतना ही अच्छा या कई बार उससे बेहतर फायदा होता है जितना स्टेंट से।
बड़े-बड़े Trials (जैसे COURAGE, ORBITA, ISCHEMIA) ने साबित कर दिया कि stable blockage में स्टेंट लगाने से मौत या हार्ट अटैक के खतरे में कोई extra फायदा नहीं होता।
सही lifestyle और सही medicines से blockage को stable रखा जा सकता है और हार्ट अटैक का खतरा बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
1️⃣ Statins — कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के लिए।
2️⃣ Beta Blockers — हार्ट को आराम देने और सीने के दर्द को कम करने के लिए।
3️⃣ Anti-Platelet Agents (जैसे Aspirin) — खून में clot बनने से रोकने के लिए।
4️⃣ Blood Pressure Control Medicines — BP सही रखना बहुत जरूरी है।
✔️ स्वस्थ खाना: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, कम तेल और कम मीठा।
✔️ नियमित physical activity: रोज कम से कम 30 मिनट टहलना, हल्की exercise करना।
✔️ धूम्रपान बिल्कुल बंद करें।
✔️ तनाव कम करें, अच्छी नींद लें।
✔️ वजन काबू में रखें।
Stable हार्ट blockage में दवाइयां और lifestyle सुधार ही असली और सुरक्षित इलाज है — स्टेंट या बायपास तभी जब दर्द बहुत ज्यादा हो या दवाइयां काम ना करें।
आजकल सिर्फ दवाइयों पर निर्भर रहना ही जरूरी नहीं — आप चाहें तो प्राकृतिक और पूरक (complementary) इलाज भी modern इलाज के साथ जोड़ सकते हैं।
इससे बीमारी की जड़ वजहों (root causes) पर काम होता है, जैसे — सूजन (inflammation), खराब blood flow, insulin resistance, और नलियों की कमजोरी (endothelial dysfunction)।
ताजा फल, सब्ज़ियां, दालें, साबुत अनाज, बीज और मेवे — ये सब शरीर को अंदर से साफ और मजबूत रखते हैं।
कम से कम प्रोसेस्ड खाना, कम तेल, कम नमक, कम चीनी।
इससे कोलेस्ट्रॉल, BP और वजन काबू में रहता है — और नलियों में blockage बनने की रफ्तार धीमी होती है।
योगासन, प्राणायाम और ध्यान (meditation) से दिल को आराम मिलता है।
Cortisol (तनाव का हार्मोन) घटता है।
हार्ट की धड़कन सुधरती है और BP कंट्रोल में रहता है।
रोज 30 मिनट योग बहुत फायदेमंद है।
कुछ आयुर्वेदिक औषधियाँ खून के प्रवाह को बेहतर करती हैं, सूजन कम करती हैं।
जैसे — अर्जुन की छाल, लहसुन, अश्वगंधा, गुग्गुल।
इनका सेवन किसी expert की सलाह से ही करें।
होम्योपैथिक दवाएँ पूरे शरीर को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं।
ये immunity और metabolic health को support करती हैं।
हार्ट blockage सीधे खत्म नहीं होता, लेकिन ये root causes पर असर डालती हैं।
सही पाचन और liver detox भी जरूरी हैं — क्योंकि खराब digestion और toxins हार्ट को नुकसान पहुँचाते हैं।
सही fibre-rich खाना, warm पानी, detox herbs, seasonal फल — ये liver और gut को साफ रखते हैं।
ये natural तरीके कोई blockage को एक रात में साफ नहीं करते।
पर ये धीरे-धीरे blockage बढ़ने से रोक सकते हैं और नलियों को मजबूत बना सकते हैं।
Modern इलाज और lifestyle बदलाव के साथ मिलाकर करने पर ही ज्यादा असर दिखता है।
प्राकृतिक उपाय दवाइयों का विकल्प नहीं, बल्कि साथ में चलने वाले सहायक तरीके हैं — ये दिल की बीमारी की जड़ वजहों पर काम करते हैं।
👉 जरूरी नहीं। अगर आपकी हालत stable है और हार्ट अटैक नहीं हुआ है, तो आपके पास वक्त है। पहले दवाइयों और lifestyle सुधार का मौका जरूर लें।
👉 जब आपकी हार्ट की नलियों में blockage है, लेकिन लक्षण एक जैसे रहते हैं — जैसे exertion पर chest pain — और हालत कंट्रोल में रहती है।
👉 ज्यादातर हार्ट अटैक सख्त blockage से नहीं होते — soft plaque के फटने से होते हैं। Stable plaques कम ही फटते हैं।
👉 नहीं। कई बड़े trials (COURAGE, ISCHEMIA, ORBITA) ने साबित किया है कि stable मरीजों में स्टेंट future हार्ट अटैक नहीं रोकता।
👉 कई बार डॉक्टर या अस्पताल financial वजहों से urgency बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं — ताकि स्टेंट या सर्जरी तुरंत करवाई जाए।
👉 हमेशा पूछें:
✅ क्या ये emergency है?
✅ क्या मैं पहले 3 महीने दवाइयाँ और lifestyle changes ट्राई कर सकता हूँ?
👉 हाँ, अगर आपकी हालत stable है। Non-invasive इलाज और regular monitoring पर फोकस करें।
👉 खून के थक्के (clot), दुबारा blockage (restenosis), bleeding, infection, और लंबे समय तक दवाइयों के side effects।
👉 हाँ! सही diet, नियमित exercise, stress management और दवाइयों से कई मरीजों में blockage घटता भी देखा गया है।
👉 किसी दूसरे expert cardiologist से second opinion लें। अपनी reports उनके साथ शेयर करें — जो non-invasive option भी बताए।
Stable heart blockage में science साफ कहती है — स्टेंट से मौत या future हार्ट अटैक का खतरा कम नहीं होता।
डर के कारण surgery कराने से बेहतर है कि आप सही जानकारी लें, इलाज को समझें और शरीर की healing पर भरोसा करें।
👉 घबराएँ नहीं। जानकारी से मजबूत बनें। सही कदम उठाएँ — डर से नहीं, fact और faith से! ❤️✨
विवेक सिंह सेंगर — Fit My Heart के संस्थापक हैं और NEXIN HEALTH और MD City Hospital Noida में एक जाने-माने Integrated Health Practitioner और Clinical Nutritionist हैं।
इन्हें लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे — हार्ट डिजीज, डायबिटीज और मोटापा — को बिना दवा, बिना सर्जरी और पोषण आधारित इलाज से कंट्रोल करने में 13 साल से ज्यादा का अनुभव है।
अब तक विवेक जी 25,000 से ज्यादा मरीजों का सफल इलाज कर चुके हैं। उनका इलाज तरीका आधुनिक मेडिकल साइंस और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा का सुंदर मेल है।
विवेक जी का फोकस सिर्फ दवाइयों पर नहीं, बल्कि —
✅ टिकाऊ lifestyle बदलाव
✅ सही खानपान और पोषण थेरेपी
✅ मरीज को सही जानकारी और समझ देना — ताकि दिल की बीमारी जड़ से सुधारी जा सके।
📧 Email: care@nexinhealth.in
📞 Phone: +91 93101 45010
💬 WhatsApp: Click to Chat
आज ही पहला कदम उठाएँ — अपने दिल को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए व्यक्तिगत Heart Failure Management Plan बनवाएँ, जो आपकी lifestyle और जरूरतों के अनुसार तैयार होगा।